By Shweta Pathak
Contributing Author for Spark Igniting Minds
पांचाली अब तुम ही उठो कि गोविंद नहीं आएँगे
तुम्हारे अंदर रहकर ही वो अब तुम्हारी लाज बचाएँगे।
तुम्हें ही अब अपने भीतर की दुर्गा को जगाना होगा
जो मानवता के शत्रु हैं उनका अस्तित्व मिटाना होगा।
अर्जुन ने अपनी पत्नी का अपमान मौन रह कर सहा था
इसीलिए उनके शौर्य, पराक्रम को कलंक लगा था।
आज भी सभी अर्जुन मूक है, हताश हैं
जैसे बंधे हुए किसी सर्पपाश में हैं।
जो तुमने दुर्गा बन स्वयं दुर्गति का नाश न किया
यूँ समझ लो ये जीवन निरर्थक ही जिया।
जीवन के समर में शस्त्र तुम स्वयं ही उठाओ
अपनी शक्ति का उन दुष्टों को बोध कराओ!
अगर रखो विश्वास मन में तो गोविंद सारथी बन जाएँगे
इस कुरुक्षेत्र में तुम्हें अंतिम विजय अवश्य दिलाएँगे!
परंतु कर्म तुम्हें स्वयं ही करना होगा
इस महाभारत को अब तुम्हें स्वयं ही लड़ना होगा।
प्रत्यक्ष अभी गोविंद ना आएँगे
समय के अंत में ही अपना रौद्र रूप दिखाएँगे।
About Shweta Pathak
Shweta is an L&D OD professional holding a decade long experience. She is a Nature lover and likes reading fictional as well as real stories and Vedic Scriptures.
She has recently started a journey to explore Spirituality through the path of Vedant Philosophy.
She is keen to participate in the causes of environment conservation and animal care.
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